🕉 गायत्री मंत्र 🕉
Gayatri Mantra Importance of Gayatri Mantra in human's life |
गायत्री मंत्र का उद्देश्य
यदि आप अपने जीवन में अद्भुत ऊर्जा, सफलता, आत्मशक्ति और जीवन को सकारात्मता से भर देना चाहते है तो गायत्री मंत्र का जाप करे !
गायत्री मंत्र एक ऐसा महा मंत्र हैं जिसको सुनने, स्मरण और बोलने मात्र से आप अपने मन के अंदर एक अद्भुत परिणाम देखते है तो आइए साथ मिलकर इस मंत्र का उच्चारण कर इसकी महत्ता को जानते है-
गायत्री महामंत्र : -
*ॐ*
*भूर्भुवः स्वः*
*तत्सवितुर्वरेण्यं*
*भर्गो देवस्य धीमहि*
*धियो यो नः प्रचोदयात्।*
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गायत्री मंत्र का भावार्थ - :
*उस प्राण स्वरूप, दुःख नाशक, सुखस्वरूप,श्रेष्ठ,* *तेजस्वी, पापनाशक, *देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी
अंतरात्मा में धारण करें, वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे ।
गायत्री महामंत्र का महत्त्व : -
Gayatri Mantra Importance of Gayatri Mantra in human's life |
गायत्री महामंत्र वेेेदों का एक बड़ा एवं अभिन्न मंत्र है जिसकी महत्ता ॐ के लगभग बराबर मानी जाती है। यह यजुर्वेद के मंत्र भूर्भुवः स्वः' और ऋग्वेद के छन्द 3.62.10 के मेल से बना है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। इसे श्री गायत्री देवी के स्त्री रुप मे भी पुजा जाता है।
🙏 गायत्री स्तुति 🙏
Gayatri Mantra Importance of Gayatri Mantra in human's life |
🙏🏻गायत्री स्तुति
*ॐ स्तुता मया वरदा वेदमाता प्रचोदयंताम् पावमानी द्विजानाम्।।
*आयुः प्राणम् प्रजाम् पशुम् कीर्तिम् द्रविड़म्।।
*ब्रह्मवर्चसम् मह्यम् दत्वा ब्रजत ब्रह्मलोकम्।।
*- अथर्ववेद*
अर्थात् :-
गायत्री वेदों की माता हैं। वह अपने उपासकों को आयु, प्राण (शक्ति), प्रजा , पशु, कीर्ति (यश), धन, ब्रह्मतेज तथा अंत में आत्मज्ञान प्रदान करती हुईं ब्रह्मलोक को ले जाती हैं।
गायत्री मंत्र की रचना : -
Gayatri Mantra Importance of Gayatri Mantra in human's life |
'गायत्री' एक छंद भी है जो ऋग्वेद के सात प्रसिद्ध छंदों में एक है। इन सात छंदों के नाम हैं- गायत्री, उष्णिक्, अनुष्टुप्, बृहती, विराट, त्रिष्टुप् और जगती।
जब गायत्री के रूप में जीवन की प्रतीकात्मक व्याख्या होने लगी तब गायत्री छंद की बढ़ती हुई महिता के अनुरूप विशेष मंत्र की रचना हुई, जो इस प्रकार है:
ॐ भूर्भुवः स्वः ! तत् सवितुर्वरेण्यं । भर्गोदेवस्य धीमहि । धियो यो न: प्रचोदयात्।
(ऋग्वेद ३,६२,१०)
🕉 शान्ति पाठ 🕉
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*॥ ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:, पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥*
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ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
|| *शान्ति पाठ का अर्थ* ||
*शान्ति कीजिए प्रभु त्रिभुवन में ।। शांति कीजिए ।
*जल में थल में और गगन में , अन्तरिक्ष में, अग्नि में पवन में
*औषधि वनस्पति वन उपवन में, सकल विश्व के जड़ चेतन में ।। शांति कीजिए ।
*शान्ति राष्ट्रनिर्माण सृजन में, नगर ग्राम में और भवन में
*जीवमात्र के तन में मन में, और जगत के कण-कण में ।। शान्ति कीजिए ।
*ॐ शान्ति शांति शांति ॐ
Dhanyawad
ReplyDeletethanks
DeleteBohot hi adbhut h
ReplyDeleteMn ki shanti k liye atyant labhdayak
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